Sunday, 5 June 2011

तुम कहते हो

तुम कहते हो तो......        
झूठ ही होगा   
 साँसों की  हलचल, दिल की धड़कन
जीने का सलीका हम क्या जाने ?
नज़रों में तुम्हारी  था महज़ जुनूँ एक 
तो  प्यार नहीं   दीवानापन  होगा 

वो कसमें वादे, शिकवे वो शिकायत
आहें भरना ,  भरोसा  दिलाना
दिल नहीं दिमाग का  खेल था वो 
तुम कहते हो तो  शायद सौदा  ही होगा

( उर्दू शायरी मेरे लिए कुछ नहीं बहुत मुश्किल है .... फिर भी एक प्रयास किया है ....)

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