मूर्तिकार फिर बेक़रार है
मूर्तियों में फिर तक़रार है
फिर पूछ रही हैं मूँह फुला
बता मूर्तिकार!
हममें से किससे तुझे अधिक प्यार है ?
सोच में है संगतराश
आखिर दे इन्हें क्या जवाब?
सभी को तो तराशा है उसने
आत्मा की गहराई से
सभी को दिए हैं
रंग-रूप-आकार!
हर मूर्ति में धड़कते हैं
उसके प्राण
फिर कैसे किसी एक की ओर कर इशारा
बताए उसे वो अपना प्यारा
सोच रहा है बार-बार
अपनी कृतियों को तकता ...मूर्तिकार
मूर्तियों में फिर तक़रार है
फिर पूछ रही हैं मूँह फुला
बता मूर्तिकार!
हममें से किससे तुझे अधिक प्यार है ?
सोच में है संगतराश
आखिर दे इन्हें क्या जवाब?
सभी को तो तराशा है उसने
आत्मा की गहराई से
सभी को दिए हैं
रंग-रूप-आकार!
हर मूर्ति में धड़कते हैं
उसके प्राण
फिर कैसे किसी एक की ओर कर इशारा
बताए उसे वो अपना प्यारा
सोच रहा है बार-बार
अपनी कृतियों को तकता ...मूर्तिकार
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