मुखरित है मन का आँगन, सुरभित है हर द्वार।
तव चरणों की आहट से, स्पंदित मन के तार।
1. नव उमंग से पुलकित हृदय,
मुस्कानों के विकसित किसलय।
पग- पग पर सानंद जताती, प्रकृति है आभार।
मुखरित है मन का आँगन, सुरभित है हर द्वार।
तव चरणों की आहट से, स्पंदित मन के तार।
2. हर्षित स्वर लहरी से गुंजित,
चहुँ ओर आनंद अपरिमित,
आह्लादित हो करते हम, अभिनंदन बारंबार।
मुखरित है मन का आँगन, सुरभित है हर द्वार।
तव चरणों की आहट से, स्पंदित मन के तार।
तव चरणों की आहट से, स्पंदित मन के तार।
1. नव उमंग से पुलकित हृदय,
मुस्कानों के विकसित किसलय।
पग- पग पर सानंद जताती, प्रकृति है आभार।
मुखरित है मन का आँगन, सुरभित है हर द्वार।
तव चरणों की आहट से, स्पंदित मन के तार।
2. हर्षित स्वर लहरी से गुंजित,
चहुँ ओर आनंद अपरिमित,
आह्लादित हो करते हम, अभिनंदन बारंबार।
मुखरित है मन का आँगन, सुरभित है हर द्वार।
तव चरणों की आहट से, स्पंदित मन के तार।
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