Monday, 7 September 2015

दो दोहे

 शातिर दो नैना बड़े, लड़ें मिलें दिन रैन|
नैनन के इस मेल में, जियरा खोवे चैन||





पाती अँसुवन से लिखी, बदरा पर दिन-रात|
पवन पीया तक ले गई, बरस सुनाई बात ||

2 comments:

  1. नैन और उनसे निकलती आंसू की धार ... बहुत ही सुन्दर दोहे हैं दोनों ...

    ReplyDelete
  2. मन को स्पर्श करते दोहे, बधाई शालिनी जी...

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Blogger Tips And Tricks|Latest Tips For Bloggers Free Backlinks