Wednesday, 2 September 2015

नैन ( सवैया )

नैन लड़ें अरु नैन मिलें, कब रार करें कब मीत बनाएँ |

प्रीत सुधा बरसाय कभी, विष बान बनें हिय में बिध जाएँ|


ढीठ बने अड़ जावत तो भर लाज कभी नयना सकुचाएँ|


बैन बने हिय की बतियाँ, रह मौन सखी सगरी बतलाएँ

Shalini Rastogi


1 comment:

  1. अति सुंदर. श्रृंगार रस की मोहक प्रस्तुति....

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