1.
कभी छोड़ देना ज़रा
अपनी तन्हाइयों को
मेरी खामोशियों के साथ
फिर देखना दोनों
कितनी बातें करते हैं
2.
अखर जाता है अक्सर
भावों का न होना
दुःख, पीड़ा, कसक, बेचैनी
हाँ, करती तो है
व्याकुल
पर कुछ तो होता है
मन के भीतर
पर रीतापन अंतस का अक्सर
जाता है क्यों
अखर ...
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