शब्द ....
कितने बेमानी हो जाते हैं
कभी - कभी
अपने ही मुख से निकली
इन अपरिचित ध्वनियाँ
किसी अतल कूप में गूँजती
अस्पष्ट आवाजों सी
भ्रमित से हम
करते प्रयास
कुछ अर्थ ढूँढने का
कुछ खुद को समझने का
खुद को विश्वास दिलाने का
पर
हर बार होते साबित झूठे
अपनी ही बातों की
सत्यता प्रमाणित करने को
घुमती दृष्टि चहुँ ओर
पर विरोध के स्वर तो कहीं
उठा रहे होते सर
मन के भीतर
अंतस में कोई करता अट्टहास
धिक्कारता बार- बार
आत्म ग्लानी से भरे हम
बस बोलते जाते हैं
बिना आत्मा वाले
बेमतलब से
कुछ शब्द
कितने बेमानी हो जाते हैं
कभी - कभी
अपने ही मुख से निकली
इन अपरिचित ध्वनियाँ
किसी अतल कूप में गूँजती
अस्पष्ट आवाजों सी
भ्रमित से हम
करते प्रयास
कुछ अर्थ ढूँढने का
कुछ खुद को समझने का
खुद को विश्वास दिलाने का
पर
हर बार होते साबित झूठे
अपनी ही बातों की
सत्यता प्रमाणित करने को
घुमती दृष्टि चहुँ ओर
पर विरोध के स्वर तो कहीं
उठा रहे होते सर
मन के भीतर
अंतस में कोई करता अट्टहास
धिक्कारता बार- बार
आत्म ग्लानी से भरे हम
बस बोलते जाते हैं
बिना आत्मा वाले
बेमतलब से
कुछ शब्द
सच है कई बार हम खुद हतप्रभ रह जाते हैं अपने ही बोले शब्दों पर क्योंकि जबरन बोलना पड़ता है बिना आत्मा वाले शब्द... बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति. बधाई.
ReplyDeleteसुंदर !
ReplyDeleteमनुष्य के लिए मिली अद्भुत शक्ति में भाषा प्रधान है और भाषा शब्दों से बनती है। शब्दों से कई लोग खेलते हैं, खिलवाड करते हैं। लेखक के लिए तो शब्द अमूल्य निधि बन आते हैं। पर असल बात शब्द ही मनुष्य और लेखकों से खेला करते हैं। बेमतलब से कुछ शब्द भी मतलब की बात करते हैं। सक्षिप्त पर सार्थक कविता।
ReplyDeleteगहन भाव लिए बेहतरीन रचना...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteसही कहा आपने शब्द अक्सर बेमानी हो जाते हैं |
ReplyDeleteकल 18/12/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
शब्द अनवरत नाद हैं ... अभिव्यक्ति की पहचान हैं ...
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुति |
ReplyDeleteबहुत सार्थक सुन्दर ......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शब्द तो स्वयं ब्रह्म है , लेकिन अगर शब्द आत्मा से पूरित न हो तो उनका कोई अर्थ नहीं .. सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteहर शब्द के अलग अर्थ :) सुंदर !!
ReplyDeleteसुंदर भाव..................
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