अनुभूतियाँ, जज़्बात, भावनाएँ.... बहुत मुश्किल होता है इन्हें कलमबद्ध करना .. कहीं शब्द साथ छोड़ देते हैं तो कहीं एकक अनजाना भय अपनी गिरफ़्त में जकड़ लेता है .... फिर भी अपने जज्बातों को शब्द देने की एक छोटी सी कोशिश है ... 'मेरी क़लम, मेरे जज़्बात' |
ब्लॉग प्रसारण अन्तिम पोस्ट - कुण्डलिया छंद विषय नारी [शालिनी रस्तोगी] आदरणीया शालिनी जी सहमत हूँ आपसे नारी से ही सब कुछ है इस धरा पर बिन नारी यह धरा अस्तित्व विहीन है, बेहद सुन्दर कुण्डलिया छंद दिल से ढेरों बधाई स्वीकारें.
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सुंदर भाव लिए बेहतरीन कुण्डली,,,
ReplyDeleteRECENT POST : समझ में आया बापू .
अति सुन्दर.
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन :-)
ReplyDeletebahut sundar
ReplyDeleteनमस्कार आपकी यह रचना कल शुक्रवार (13-09-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ReplyDeleteवाह बहुत खूब
ReplyDeletesateek prastuti
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति शालिनी जी
ReplyDeleteसुन्दर भाव लिए कुंडलियाँ ...
ReplyDeleteसटीक ...
सुन्दर भाव सुन्दर अर्थ। सौदेश्य लेखन।
ReplyDeleteमानवता का बीज कोख में बोवे नारी ,
बीज करे अपमान सो होवे हंकारी
बहुत सुन्दर रचना है भाव और अर्थ की अन्विति लिए।
बहुत खुबसूरत भावमय कुंडलिया !!
ReplyDeleteब्लॉग प्रसारण अन्तिम पोस्ट - कुण्डलिया छंद विषय नारी [शालिनी रस्तोगी]
ReplyDeleteआदरणीया शालिनी जी सहमत हूँ आपसे नारी से ही सब कुछ है इस धरा पर बिन नारी यह धरा अस्तित्व विहीन है, बेहद सुन्दर कुण्डलिया छंद दिल से ढेरों बधाई स्वीकारें.
bhut umda
ReplyDeletebhut khub
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