अनुभूतियाँ, जज़्बात, भावनाएँ.... बहुत मुश्किल होता है इन्हें कलमबद्ध करना .. कहीं शब्द साथ छोड़ देते हैं तो कहीं एकक अनजाना भय अपनी गिरफ़्त में जकड़ लेता है .... फिर भी अपने जज्बातों को शब्द देने की एक छोटी सी कोशिश है ... 'मेरी क़लम, मेरे जज़्बात' |
हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} के शुभारंभ पर आप को आमंत्रित किया जाता है। कृपया पधारें आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा |
आदरणीया अपकी यह प्रभावशाली प्रस्तुति 'निर्झर टाइम्स' पर लिंक की गयी है। कृपया http://nirjhar.times.blogspot.in पर पधारें,आपकी प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित है। सादर
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बहुत सुंदर सवैया....बहुत खूब शालिनी जी।
ReplyDeleteवाह बहुत बढ़िया |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शालिनी.....इतने कम शब्दों में सारी व्यथा कह डाली
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना,,,शालिनी जी बधाई,,
ReplyDeleteRECENT POST: आज़ादी की वर्षगांठ.
अच्छा है
ReplyDeleteविरह के भाव को सार्थक करते ... सुन्दर मन को छूते हुए सवैया ...
ReplyDeletebehtareen...!!
ReplyDeleteविरहा अगनी तन ताप चढ़े झुलसे जियरा हर सांस जले
वाह वाह वाह !
आदरणीया शालिनी जी
सुंदर छंद के लिए बहुत बहुत बधाई !
❣हार्दिक मंगलकामनाओं सहित...❣
-राजेन्द्र स्वर्णकार
sundar prastuti
ReplyDeleteबहुत सुन्दर…
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....बधाई...
ReplyDeleteअति सुन्दर..
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ReplyDeletewaah dekhan men chhotan lage ....par arth ke ucchtam shikhar par pahunchaye ....
ReplyDeleteआदरणीया अपकी यह प्रभावशाली प्रस्तुति 'निर्झर टाइम्स' पर लिंक की गयी है।
ReplyDeleteकृपया http://nirjhar.times.blogspot.in पर पधारें,आपकी प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित है।
सादर
विरह की विपरीत और पीडित स्थितियों सार्थक वर्णन। बिहारी के विरह वर्णन के नजदिक पहुंचता है।
ReplyDeleteवाह, बहुत दिन बाद सवैय्या पढ़ने को मिला
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति.....
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