Saturday, 10 August 2013

परवाज़


1.
पिंजरे में कैद मगर सोज नहीं सुर से साज़ भरो,

गम अपने छिपाकर हँसी से अपने अंदाज़ भरो,

बड़ा फ़राक दिल है ये सैय्याद देखो इसकी अदा

 ,
पर कैँच करके परिंदों से कहे कि अब परवाज़ भरो.


2
.
मेरी आवारगी को अपनी चाहत का संग दे ज़रा
 
मुद्दतों कैद हसरतों को आज़ादी के पंख दे ज़रा

 
एक बार जो चढ़े रंग तो ता-उम्र न छूटे फिर

 
मेरी रूह को इश्क के रंग में बेपनाह रंग दे ज़रा


3.


पंख हैं न परवाज़ कोई

अंजाम है न आगाज़ कोई

आवारगी फकत एक मकसद

इस मन न सरताज कोई 

14 comments:

  1. कैँच करके परिंदों से कहे..अब परवाज़ भरो..
    बेहतरीन ग़ज़ल....

    अनु

    ReplyDelete
  2. इश्क का रंग नहीं छूटता बल्कि समय की साथ गाढा होता रहता है ...
    सुन्दर अर्थपूर्ण मुक्तक ...

    ReplyDelete
  3. बहुत उम्दा

    ReplyDelete
  4. मन का सरताज कोई नहीं
    मन स्वतंत्र उन्मुक्त है
    सुन्दर

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी ब्लॉग समूह के शुभारंभ पर आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा {सोमवार} (19-08-2013) को हिंदी ब्लॉग समूह
    पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी {सोमवार} (19-08-2013) को पधारें, सादर .... Darshan jangra

    हिंदी ब्लॉग समूह

    ReplyDelete

  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी ब्लॉग समूह के शुभारंभ पर आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा {सोमवार} (19-08-2013) को हिंदी ब्लॉग समूह
    पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी {सोमवार} (19-08-2013) को पधारें, सादर .... Darshan jangra



    हिंदी ब्लॉग समूह

    ReplyDelete
  7. बहुत सुन्दर शालिनी जी ...

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Blogger Tips And Tricks|Latest Tips For Bloggers Free Backlinks