1.
पिंजरे में कैद मगर सोज नहीं सुर से साज़ भरो,
गम अपने छिपाकर हँसी से अपने अंदाज़ भरो,
बड़ा फ़राक दिल है ये सैय्याद देखो इसकी अदा
,
पर कैँच करके परिंदों से कहे कि अब परवाज़ भरो.
2
.
मेरी आवारगी को अपनी चाहत का संग दे ज़रा
मुद्दतों कैद हसरतों को आज़ादी के पंख दे ज़रा
एक बार जो चढ़े रंग तो ता-उम्र न छूटे फिर
मेरी रूह को इश्क के रंग में बेपनाह रंग दे ज़रा
3.
पंख हैं न परवाज़ कोई
अंजाम है न आगाज़ कोई
आवारगी फकत एक मकसद
इस मन न सरताज कोई
वाह !!! बहुत सुंदर मुक्तक ,,,
ReplyDeleteRECENT POST : जिन्दगी.
कैँच करके परिंदों से कहे..अब परवाज़ भरो..
ReplyDeleteबेहतरीन ग़ज़ल....
अनु
बहुत खूब!
ReplyDeleteइश्क का रंग नहीं छूटता बल्कि समय की साथ गाढा होता रहता है ...
ReplyDeleteसुन्दर अर्थपूर्ण मुक्तक ...
बहुत सुंदर
ReplyDeleteक्या कहने
बहुत उम्दा
ReplyDeleteबहुत उम्दा
ReplyDeleteवाह बहुत बढ़िया |
ReplyDeleteबेहतरीन.....
ReplyDeleteमन का सरताज कोई नहीं
ReplyDeleteमन स्वतंत्र उन्मुक्त है
सुन्दर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी ब्लॉग समूह के शुभारंभ पर आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा {सोमवार} (19-08-2013) को हिंदी ब्लॉग समूह
ReplyDeleteपर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी {सोमवार} (19-08-2013) को पधारें, सादर .... Darshan jangra
हिंदी ब्लॉग समूह
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी ब्लॉग समूह के शुभारंभ पर आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा {सोमवार} (19-08-2013) को हिंदी ब्लॉग समूह
पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी {सोमवार} (19-08-2013) को पधारें, सादर .... Darshan jangra
हिंदी ब्लॉग समूह
बहुत सुन्दर शालिनी जी ...
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति
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