Sunday 30 December 2012

दिल तो बच्चा है जी.....


सच में
बच्चा ही तो है दिल 

देखा है न आपने 
बच्चों को रूठ जाते 
बस ऐसे ही मुझसे कुछ 
रूठा-रूठा सा है 
मेरी गलती बस इतनी 
कि बड़े प्यार से 
बस.... थोड़ा-सा  
झिडक कर 
समझाया था इसे
पगले! जो तू चाहता है 
कैसे हो पायेगा 
यह दुनिया है 
अपने कानूनों पर चलती है 
तू जो चाहता पाना 
कैसे मिल पायेगा 
नहीं माना 
जिद्दी कहीं का .....
फिर थोड़ा डराया 
देख !
नहीं माना तो 
बहुत पछतायेगा 
ऐसी सज़ा मिलेगी 
जिंदगी भर न भूल पायेगा 
पर दिल तो ......
बच्चा ठहरा 
भला कैसे मानेगा 
कितना ही डराओ,धमकाओ 
पर कहाँ समझ पाते हैं 
जैसे घूम-फिर कर फिर 
बार-बार 
वहीँ आके अटक जाते हैं 
बस वैसे ही 
अड़ा हुआ है
क्या करूँ?
ज्यादा डराने से 
जैसे कुम्हला जाता है 
बच्चों का बचपन 
दिल में डर का साया थामे
कहाँ पनप पाते हैं 
उनके कोमल सपने 
बस ऐसे ही ये दिल भी 
कुम्हला जायेगा 
मासूम-सा बच्चा 
यक-ब-यक 
बड़ा हो जायेगा ...













3 comments:

  1. चिरनिद्रा में सोकर खुद,आज बन गई कहानी,
    जाते-जाते जगा गई,बेकार नही जायगी कुर्बानी,,,,

    recent post : नववर्ष की बधाई

    ReplyDelete
  2. चिरनिद्रा में सोकर खुद,आज बन गई कहानी,
    जाते-जाते जगा गई,बेकार नही जायगी कुर्बानी,,,,

    recent post : नववर्ष की बधाई

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