Friday, 3 January 2025

सोऽहं

 

सोऽहं

मैं एक कण , मैं ब्रह्माण्ड,

इस सृष्टि में, सृष्टा का मान |

सूक्ष्म से भी अति सूक्ष्म मैं,

और व्यापक से व्यापक परिमाण |

यत्र-तत्र-सर्वत्र मैं ही

और मैं ही अकिंचनता का भान |

मेरी परिधि में विश्व बँधे और

मैं एक बिंदु, शून्य समान |

मैं कर्ता, मैं ही हूँ कर्म,

मैं ही कर्मों का परिणाम |

मैं कारक हूँ, मैं कारण हूँ,

मैं बीज तत्त्व, मैं वृक्ष समान|

क्या देह समझते हो मुझको ....?

मैं आत्म तत्त्व, परमात्म अंश,

सृष्टा से परे कब, मेरी पहचान |

~~~~~~~~~~~~  

द्वारा शालिनी रस्तौगी

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