Sunday, 4 August 2019

बस इतना सा अफ़साना

बस इतनी देर का ही था अफ़साना।
मेरा आना हुआ और उसका जाना।

नज़र की बात थी, नज़र ने समझी,
दिल ने दे दिया सुकूँ बतौर नज़राना।

बात अपने आप में ही थी मुक्कमल,
क्या समझते और किसे था समझाना।

रोज़ आने का वादा किया था उसने,
वो न आया कि रोज़ आया रोज़ाना।

फ़र्क कुछ तो रहा होगा कहने-सुनने में,
'दास्तां खत्म हुई' जो पड़ा ये भी बतलाना।




No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Blogger Tips And Tricks|Latest Tips For Bloggers Free Backlinks