मन
की खामोशियों को तोड़
विद्रोही
हो उठते हैं स्वर|
रगों
में लहू के साथ
दौड़ती
चुप्पी के विरुद्ध
आवाज़
उठाना चाहते,
हर
बंधन को काट
मुक्त
हो
विद्रोह
करना चाहते स्वर|
चेतना
के अदृश्य
बंधन
से मुक्त हो
करना
चाहते अनर्गल प्रलाप |
मिथ्या
संभ्रांतता के
जाल
से निकल
उच्छृंखल
हो जाना चाहते
विद्रोही
स्वर|
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