Monday, 24 July 2017

मज़ाक अच्छा है

जो कहूँ मैं वो गलत, तेरा बयान अच्छा है।
जाने कैसे तुम लगाते हो, हिसाब अच्छा है।
रक्स, महफ़िल, मय, हँसी के दरमियाँ सुना है ,
याद हम तुमको बहुत आए मज़ाक अच्छा है।
महफिलों में चर्चा तर्के ताल्लुक का है अपने,
आजकल मेरे रक़ीबों का मिज़ाज अच्छा है।
~~~~~~~~~~~~
शालिनी रस्तौगी

No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Blogger Tips And Tricks|Latest Tips For Bloggers Free Backlinks