अनुभूतियाँ, जज़्बात, भावनाएँ.... बहुत मुश्किल होता है इन्हें कलमबद्ध करना .. कहीं शब्द साथ छोड़ देते हैं तो कहीं एकक अनजाना भय अपनी गिरफ़्त में जकड़ लेता है .... फिर भी अपने जज्बातों को शब्द देने की एक छोटी सी कोशिश है ... 'मेरी क़लम, मेरे जज़्बात' |
आदरणीया शालिनी जी ग्रीष्म की तपन का बहुत सुन्दर उल्लेख ...बहुत अच्छी रचना ..आप के ब्लॉग से जुड़ के और ब्लॉग प्रसारण से यहाँ पहुँच बहुत अच्छा लगा .. जय श्री राधे भ्रमर ५
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बहुत सुन्दर और मनभावन प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteशुभप्रभात
ReplyDeleteसच्ची तस्वीर उकेरती रचना
हार्दिक शुभकामनायें
सुंदर सवैय्या आजकल के मौसम से उपजी प्रस्थितिओं का लेखा.
ReplyDeleteआधुनिक संदर्भ और काव्यशास्त्रीय कलात्मकता सुंदरता को और निखार देती है इसका परिचय आपके सवैया से मिल रहा है।
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन और सार्थक प्रस्तुति,आभार।
ReplyDeleteइस साहित्यिक सृजन के लिए बहुत-बहुत बधाई शालिनी मैम ! बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteशानदार,बहुत ही उम्दा प्रस्तुति,,,बधाई शालिनी जी ,,
ReplyDeleteRECENT POST: हमने गजल पढी, (150 वीं पोस्ट )
बढिया, बहुत सुंदर
ReplyDeleteअच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
अनुपम .. मनभावन ... मज़ा आ गया ..
ReplyDeleteआदरणीया शालिनी जी
ReplyDeleteग्रीष्म की तपन का बहुत सुन्दर उल्लेख ...बहुत अच्छी रचना ..आप के ब्लॉग से जुड़ के और ब्लॉग प्रसारण से यहाँ पहुँच बहुत अच्छा लगा ..
जय श्री राधे
भ्रमर ५
वाह.......अति सुन्दर ......
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