अनुभूतियाँ, जज़्बात, भावनाएँ.... बहुत मुश्किल होता है इन्हें कलमबद्ध करना .. कहीं शब्द साथ छोड़ देते हैं तो कहीं एकक अनजाना भय अपनी गिरफ़्त में जकड़ लेता है .... फिर भी अपने जज्बातों को शब्द देने की एक छोटी सी कोशिश है ... 'मेरी क़लम, मेरे जज़्बात' |
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हर एक जख्म इस कदर गहरा था कि
ReplyDeleteता उम्र टीस बन रिसता रह गया
Vah shalini ji kya likhu itana behtareen ki shabd hi nahi hain |
दन्यवाद नवीन जी!
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