सोन चिरैया सी बेटियाँ
अपने हिस्से का दाना चुग
कैसे फुर्र से उड़ जाती हैं
पराए घर की शान
अपने घर की मेहमान हो जाती हैं
बेटियाँ
फिर कभी-कभी आती हैं
अपनी चहचहाट से
सूनापन दूर कर
घर को फिर गुलज़ार
कर जाती हैं
सोन चिरैया सी बेटियाँ
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