पौधा क्यों कुम्हलाया
सभी अपनी निगाहों में प्रश्नों के बाण लिए अपनी निगाहों से माली को भेद रहे थे
और माली सिमटा हुआ-सा इस सोच में पड़ा था कि आखिर उससे कहाँ गलती हो गई? जैसे-जैसे इन
सबने कहा था बिलकुल वैसे ही तो देखभाल की थी पौधे की .. फिर?? वह शुरू से सब बातों
को क्रमबार सोचने लगा ...
जिसने पौधा रोपा था उससे पौधे की देखभाल करनी आती नहीं थी अतः उसने वह पौधा ,
पौधों की देखभाल करने वाली संस्था को दे दिया| माली को जब वह पौधा मिला तो उसने
पौधे को अपना समझ कर अपनी पूरी काबिलियत से उसकी देखभाल शुरू कर दी क्योंकि वह
जानता था कि पौधे को परवान कैसे चढ़ाया जाता है| एक दिन जब माली ने देखा कि पौधे कि
एक पत्ती पीली पड़ रही है तो उसने उस पत्ते को तोड़ दिया| हेड माली ने माली को पौधे
की पत्ती तोड़ते देख लिया| वह जोर से चिल्लाया, “तुमने किस हक से पौधे की पत्ती उखाड़ी
? तुम्हें पता है कि पौधे का मालिक कितना नाराज़ होगा?” “पर पीली पत्तियों को तोड़ना
ज़रूरी होता है नहीं तो पौधे की बढ़त रुक जाती है” – माली ने तर्क दिया| बात संस्था
प्रमुख के पास पहुंची तो उन्होंने माली को डाँटते हुए कहा – “तुम्हें ज्यादा दिमाग
लगाने की कोई ज़रूरत नहीं है, अब हम बताएँगे कि पौधे की देखभाल कैसे करनी है|”
अब माली पर कड़ी निगाह रखी जाने लगी – “आज तुमने पौधे में कम पानी क्यों डाला,
आज तुमने उसे धूप में क्यों रखा .... खाद थोड़ी ज्यादा डालो ... और हाँ, पौधे कि
पत्ती तोड़ना तो दूर, उसे झूने की भी कोशिश मत करना|” माली पर .. पर कर्ता रह गया
मगर फरमान सुनाने वाले सुना कर चले गए|
अब पौधे का मालिक जब पौधे के निरीक्षण के लिए आया तो देखा कि पौधे की पत्तियाँ
पीली हो रही हैं| आगबबूला होते हुए उसने माली, हेड माली, संस्था प्रमुख सबको एक
पंक्ति में खड़ा करके अल्टीमेटम दे दिया – “मैं तुम्हें पौधे की देखभाल करने के
पैसे दे रहा हूँ और तुमने मेरे पौधे की पत्तियाँ पीली कर दीं,.... तुम्हारा माली
किसी काम का नहीं है, मैं वन-विभाग में तुम्हारी शिकायत करूँगा .... कानूनी
कार्यवाही करूँगा|”
पोधे के मालिक की चीख पर वन विभाग, पौधा संरक्षण संस्थाएँ, पुलिस, कानून सब
डंडा लेकर संस्था के पीछे पड़ गए| संस्था प्रमुख ने हाथ जोड़ घिघियाते हुए कहा – “आप
चिंता न करें. आपके इस पौधे को हरा-भरा करने में हम जी-जान लगा देंगे| इसके लिए हमने
विदेशों से एक्सपर्ट बुलाए हैं, वे हमें सुझाव देंगे कि हमें पौडे की देखभाल कैसे
करनी है|”
भारी-भरकम डिग्रियाँ लिए, आँखों पर विदेशी चश्मा चढ़ाए एक्सपर्ट ने दूर से पौधे
की बारीकी से जाँच की और कहा – “पौधे की
देखभाल में प्यार की कमी है| आप अपने माली से कहिये कि वह प्रतिदिन पौधे को गाना
सुनाए, उससे दिन में चार बार यह कहे कि तुम बहुत बहुत अच्छे हो, तुम बहुत बड़े पेड़
बनोगे .... पौधे को धूप में बिलकुल न निकला जाए और उसमें हर दिन यह विदेशी खाद
डाली जाए|”
“पर यह तरीका यहाँ के मौसम और पर्यावरण के अनुकूल नहीं है .. और इस विदेशी खाद
से पौधे की जड़ें ही गल जाएँगी .. जड़ें गल गईं तो फिर कैसे पनपेगा ” – माली
बुदबुदाया| “चुप !!! तुम्हें क्या पता पौधे की देखभाल कैसे की जाती है| जैसा कहा
जा रहा है वैसा करो” – चारों और से समवेत स्वर में आदेश आया| संस्था प्रमुख ने कहा
– “वह पौधे की हर घंटे की प्रोग्रेस को लिखकर और ग्राफ बनाकर ऑफिस में सबमिट करे|
हेड माली रोज़ तुम्हारी रिपोर्ट पौधे से लेगा कि कहीं तुम उसे कोई कष्ट तो नहीं
पहुँचा रहे|”
अब माली प्रतिदिन उस पौधे को ए.सी. कमरे में गाना सुनाता है, दिन में चार बार
उससे कहता है कि वह बहुत अच्छा है, ढेर सारा पानी और विदेशी खाद डालता है और हर
घंटे उसकी लम्बाई चौड़ाई को नापकर रिपोर्ट तैयार करता है| परन्तु पौधा है कि दिन ब
दिन कुम्हलाता ही जा रहा है|
क्या आप में से कोई बता सकता है कि पौधा क्यों कुम्हला रहा है??
शालिनी रस्तौगी
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