अनुभूतियाँ, जज़्बात, भावनाएँ.... बहुत मुश्किल होता है इन्हें कलमबद्ध करना .. कहीं शब्द साथ छोड़ देते हैं तो कहीं एकक अनजाना भय अपनी गिरफ़्त में जकड़ लेता है .... फिर भी अपने जज्बातों को शब्द देने की एक छोटी सी कोशिश है ... 'मेरी क़लम, मेरे जज़्बात' |
वसंत पर एक सवैया ~~~~~~~~~~~~~ देख सजी धरती धर चूनर खेत हुए सगरे अब पीले| पीत भई पगड़ी सज के मन, देख लुभावत लोग सजीले| झाँक रहे छिप चूनर ओट, सखी सजना दुइ नैन रसीले| आय गए सज ठाठ दिखा,मन लेत लुभाय वसंत छबीले||
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सुन्दर छंद ... बसंत की हार्दिक शुभकामनायें ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना , बधाई इस अनुपम रचना हेतु
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