सुना है
समाप्ति की कगार पर खड़ा
खड़ा कर रहा है इंतजार
अपने ख़त्म होने का
विह्वल हो देख रहा
लोगों में
दम तोडती संवेदनाएँ
बीच सड़क, निर्वस्त्र पड़ी
घायल लड़की के
जिस्म से टपक रहे खून को
नज़रंदाज़ कर
आगे बढ़ गई थी तब
आज क्यों उबाल पर हैं
इस कायर समाज की
नपुंसक संवेदनाएँ
अबोध बालिका के साथ
बलात्कार की खबर को ,
सरसरी निगाह से पढ़कर
अखबार में छपी
अधनंगी तस्वीरों पर
आँखों से लार टपकाती
कुत्सित भावनाएँ
बीच सड़क, निर्वस्त्र पड़ी
घायल लड़की के
जिस्म से टपक रहे खून को
नज़रंदाज़ कर
आगे बढ़ गई थी तब
आज क्यों उबाल पर हैं
इस कायर समाज की
नपुंसक संवेदनाएँ
अबोध बालिका के साथ
बलात्कार की खबर को ,
सरसरी निगाह से पढ़कर
अखबार में छपी
अधनंगी तस्वीरों पर
आँखों से लार टपकाती
कुत्सित भावनाएँ
खाने की मेज़ पर ,
जायकों के बीच
जायकों के बीच
टी.बी. पर आते समाचारों में
बम धमाके में घायल हुए
लोगों की चीखों को
निर्मम हो सुन रहीं
बहरी संवेदनाएँ
सड़क पर पड़े
घायल अधमरे इंसान के
घायल अधमरे इंसान के
चारों ओर इकट्ठे हुजूम में
किसी एक हाथ के बढ़ने के इंतज़ार में
आँख मूँद रही ज़िन्दगी के साथ
अंतिम साँसें गिन रहीं
मरणासन्न संवेदनाएँ
मरणासन्न संवेदनाएँ
बम धमाके से उड़ते चीथड़ों पर ,
आग में जले सुलगते जिस्मों पर,
निज क्षुद्र स्वार्थ की रोटियां सेकते नेताओं की
माँस पर झपटते गिद्धों सी
वीभत्सतर होती जाती
घृणित संवेदनाएँ
घृणित संवेदनाएँ
atyant marmik! Yatharth ka pratibimb ! Kya kabhi manav-man ki barf hui samvedna pighlegi ya wah swarth ke vashibhoot ho yun hi shwaano aur gidhhon-sa aacharan karega?
ReplyDeletethanx sushila !!!
ReplyDeleteबस इतना ही कहा जा सकता है कि ........
हो चुकी है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिये
मानव मन से संवेदना कि गंगा निकालनी चाहिए
आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा।
ReplyDeleteविजय दशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
कल 07/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत ही भावपूर्ण रचना.....
ReplyDeleteधन्यवाद सुषमा जी एवं यशवंत जी
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण रचना.....अच्छा लगा...
ReplyDeleteबहुत ही बढि़या प्रस्तुति ।
ReplyDeletemarti samvednaon ke aam dekhte nazaron se aaj sach mein insaan samvedanheenta ke misal banta jaa raha hai..
ReplyDeletebahut badiya samvedansheel prastuti...
संवेदनाओं का युग समाप्ति की कगार पर....
ReplyDeleteवाह! क्या खूब.... सुन्दर अभिव्यक्ति...
सादर बधाई...
संजय मिश्र जी,कविता जी, सदा एवं माहेश्वरी जी ...... आप सबको हार्दिक धन्यवाद .
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