Friday 12 May 2017

आवारा भाव


आवारा भाव 
इधर-उधर, बेतहाशा 
दौड़ते से भाव....
न सीमा मानते, न बंधन 
हर दहलीज को उलांघते हैं भाव|
कभी झिरियों
कभी सुराखों से
कभी दीवार में पड़ी दरारों से,
हर दरवाज़े को तोड़,
हर कड़ी को खोल,
सेंध लगा कर
अनायास अनधिकृत ही
निषिद्ध क्षेत्रों में कर प्रवेश
मचाते उत्पात,
यूँही कभी उपद्रवी बन जाते हैं भाव....
कभी मर्यादाओं से टकरा
कभी रूढ़ियों की चट्टानों पर सिर पटक
ज़ख़्मी हो
तानों और उलाहनों की
कंटीली डगर पर घिसटते
छिला जिस्म ले
कहराते, पर रुक न पाते भाव....
जाने किस आवारगी की
लत लगा कर
फिरते हैं इधर-उधर
आवारा भाव
~~~~~~~~~~~~~
shalini rastogi

(चित्र गूगल से साभार)

No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Blogger Tips And Tricks|Latest Tips For Bloggers Free Backlinks