Friday 12 May 2017

सवैया - मनभावन फागुन



सवैया 
मनभावन फागुन झूम रहा, सर बोल रही चढ़ भाँग सखी।
सरकी सर से चुनरी बहकी, अब ढंग तजा, सब लाज रखी।
हरषाय लखे सजना सजनी, मुसकाय खड़ी पिय प्रेम लखी।
कचनार कपोल भए जब रंग, मले सजना भर अंग सखी।
shalini rastogi 
(चित्र गूगल से साभार)

No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Blogger Tips And Tricks|Latest Tips For Bloggers Free Backlinks