Friday 12 May 2017

कलम की नोक पर



हाथ में थमी     
कलम की नोक पर
रखी हैं न जाने
कितनी बातें, कितने अफ़साने,
शब्दों में ढलने को आतुर
हजारों ख्वाहिशें|
पर कलम की नोक से
कागज़ तक का यह सफ़र
इतना तो आसाँ नहीं,
बीच में आ घेरते हैं
न जाने कितने अंतर्द्वंद्व
बाधा बन, राह रोक
खड़ी हो जाती हैं
न जाने कितनी वर्जनाएँ|
और बंधनों के कसते दायरों में
छटपटा कर
दम तोड़ देती हैं कितनी ही कविताएँ
हाथ में थमी कलम की नोक पर.............
~~~~~~~~~~~
शालिनी रस्तौगी

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