Friday 12 May 2017

गुलाबी इन्कलाब

वक़्त आ गया है 
कि अब 
आधी आबादी
बाकी आधी आबादी को
मात्र जिस्म न समझे।
नहीं मिल जाता हक़
आधी आबादी को
बाकी की
आधी आबादी के पहनावे पर
आक्षेप कर
अपने नग्न व्यवहार हो छिपाने का।
कोई भी समय उपयुक्त नहीं कहा जाएगा
वहशत दिखने का।
तुम्हारा शारीरिक ताकत,
तुम्हारी संख्या
या अँधेरी सूनसान जगह
इजाज़त नहीं है
उनके शरीर पर
तुम्हारे मालिकाना हक़ की।
उनका
हँसना, खिलखिलाना, बोलना या नाचना



संकेत नहीं माना जा सकता
उनकी स्वीकृति का।
समझना ही होगा आधी आबादी को
कि उनका नर होना
नारी की देह, आत्मा, विचार और संवेदनाओ पर
शासन का अधिकार पत्र नहीं।
अब नहीं चलेगी मनमानी
नीले रंग की
गुलाबी पर कालिख मलने की
क्योंकि
गुलाबी इंकलाब का अब
वक़्त आ गया है....
~~~~~~~~~~~~
शालिनी रस्तौगी

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