रूह पर नक्श इक इबारत-सा है।
नाम तेरा पुरानी आदत -सा है।
चैन दिल का सुकूनो खुलूस कहते हो
मेरी मानो, ये इश्क आफत-सा है।
भूलना तुझको इक भरम जैसा
दिल से दिल की अदावत - सा है।
सो रहा है सोने दो तुम ऐश करो
जागना इस ज़मीर का आफ़त-सा है।
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शालिनी रस्तौगी
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