Sunday 11 June 2017

आवरण

आवरण
ढूँढ़ते हैं 
छिपाने को 
आदिम रूप हर चीज़ का
डरते हैं 
कहीं प्रकट न हों जाएँ
कामनाएँ
अपने आदिम रूप में
पहना देते हैं उन्हें
सुन्दर, आकर्षक, दिखावटी शब्दों का
भारी-भरकम जामा|
क्योंकि देह हो या विचार
किसी भी हाल
नग्नता स्वीकार्य नहीं ......
समाज को चाहिए
आवरण 

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