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Friday, 9 June 2017

सखियाँ (सवैया)


दिन ग्रीष्म बड़े, नहिं काट कटें,मिल बैठ करें सगरी बतियाँ|
परिहास करें, मुख जोरि हँसें, हिय बात बताय रहीं सखियाँ|
कह बात पिया से हुई कब क्या, कह संग बिताइ कहाँ रतियाँ|
सनदेस पिया पहुँचाय रहीं,हिय बैन लिखें, मिल के पतियाँ||
शालिनी रस्तौगी

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