Pages

Thursday, 25 December 2014

हिमनद


जमी हुई थी 
हिमनद सीने में 
बर्फ़ ही बर्फ़ 
न कोई सरगोशी .. न हलचल 
सब कुछ शांत, स्थिर, अविचल
फिर आए तुम
स्पर्श कर मन को
अपने प्रेम की ऊष्मा
मेरे ह्रदय में व्याप्त कर गए
बूँद बूँद पिघल उठी मैं
बह निकली
नदी सी मैं
बर्फ से गंगा बनी मैं

कोहरा


कोहरा है घना घिर के आया
या तेरी याद का है सरमाया
ग़म तो पहले ही क्या कुछ कम थे
शौक ए इश्क़ जो चर्राया
दिल हरेक बार तोड़ा तुमने
फिर हरेक बार दिल क्यूँ भर आया
देख के इन्सान की हैवानियत
आज शैतान भी शरमाया
आँख ने दिए कभी धोखे
तो जुबां ने कभी भरमाया

Thursday, 11 December 2014

रिक्तता


अजीब विरोधाभास है 
~~~~~~~~~~~~~
रिक्तता का अहसास 
कितना भारी कर देता है मन
कभी मन के 
किसी कोने में
किसी की आहट सुनने को
कुछ सुगबुगाहट सुनने को
भटकते, टकराते फिरते
अपने ही मन की दीवारों से
पर भरी होती है वहां
हर ओर सिर्फ
रिक्तता
~~~~~~
है न

अदाकारा


अदाकारा 
होती है छिपी
हर औरत के मन की तहों में,
गाहे-बेगाहे उभर आती है 
कभी भी सामने दुनिया के 
जब अंतर्मन की पीड़ा को पी कर
मुस्कुराती है
उसकी खुशहाली पर माँ उसकी
वारी-वारी जाती है
दर्द, अपमान, पीड़ा, अवहेलना की
बारीक लकीरों को
कितनी खूबसूरती से वह
व्यस्तता के अभिनय से छिपाती है.
आँखों में औचक भर आये आंसुओं को
आँख में कुछ गिर जाने के बहाने से ,
रुंधे हुए गले की बैठी हुई आवाज़
खांसी के पीछे छिपाने में
रात तकरार के बाद
गाल पर छपे उँगलियों के निशान
मेकअप के नीचे छिपाती
वो हँसतीहै, खिलखिलाती है
चाहे जितने भी निभाए रिश्ते
पर सब पर हावी रहती है
वो छिपी हुई
अदाकारा
~~~~~~~~~~~
shalini rastogi

ज़रूरी नहीं


हर बार ज़रूरी नहीं होता
वज़ह पूछी जाए 
कभी कयास लगाना ही बेहतर होता है 
कि
बात करते करते अचानक 
कोई चुप हो गया था क्यों
साथ चलते कदम अचानक
ठिठक के रुक गए थे क्यों
क्या सोचा होगा उसने
जो आँख यूँ भर आई होगी
एक नामालूम सी मुस्कराहट के पीछे
याद किसकी छिपाई होगी
क्या हुआ कि रस्ते बदल गए होंगे
कब, कैसे, कहाँ तार रिश्तों के
नए जुड़ गए होंगे
वज़ह पूछोगे तो
बेवज़ह बात बढ़ जाएगी
राख के ढेर में छिपी चिंगारी
कुरेदने से भड़क जायेगी
वज़ह के पीछे छिपा जवाब
तुम्हारे ख्यालों से मेल खाए
क्या पता वो तसव्वुर को
चकनाचूर कर जाए
तो अपने ख़्वाबों,ख्यालों,तसव्वुर को
सहलाते रहिए
वज़ह पूछने से बेहतर है ...कयास लगाते रहिए
~~~~~~~~~~
shalini rastogi