अनुभूतियाँ, जज़्बात, भावनाएँ.... बहुत मुश्किल होता है इन्हें कलमबद्ध करना .. कहीं शब्द साथ छोड़ देते हैं तो कहीं एकक अनजाना भय अपनी गिरफ़्त में जकड़ लेता है .... फिर भी अपने जज्बातों को शब्द देने की एक छोटी सी कोशिश है ... 'मेरी क़लम, मेरे जज़्बात' |
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Monday, 25 September 2017
घट रही है ऑक्सीजन
घट रही है ऑक्सीजन
घुट रहा है दम
इंसानों में इंसानियत की
संबंधों में प्रेम की
प्रेम में विश्वास की
विश्वास में आस्था की
आस्था में समर्पण की
निरंतर घट रही है ऑक्सीजन
आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.
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