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Friday, 12 May 2017

सफर तुम्हारे साथ आसान हो गया

शिकवे भी रहे कुछ
शिकायत भी करते हम रहे 
हर बार तुम मुस्करा कर 
बात पर करते रहे 
बहुत की नादानियां
कभी ज़िद पर हम अड़े
कभी मुंह फुला बैठे
कभी मुंह फेर हुए खड़े।
पर तुमने न जाने कैसे
हर बात को सहा
हर बार मना कर
झगड़ा ख़त्म किया ।
नहीं कहूँगी कि फूल बिछाए थे राह में
पर काँटा भी तो कभी
कोई चुभने न दिया।
ज़िन्दगी की डगर यूँ तो आसान नहीं थी
पर सफर तुम्हारे साथ
आसान हो गया


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