Pages

Friday, 12 May 2017

पलाश


फूले वृक्ष पलाश ज्यों, अगनी के हों फूल।

दहका-दहका वन लगे, विरह चुभे ज्यों शूल।।

महुआ और पलाश से, देख सज गया फाग।
राग-रंग बिखरा गली, विरहन हृदय विराग।।




No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.