अनुभूतियाँ, जज़्बात, भावनाएँ.... बहुत मुश्किल होता है इन्हें कलमबद्ध करना .. कहीं शब्द साथ छोड़ देते हैं तो कहीं एकक अनजाना भय अपनी गिरफ़्त में जकड़ लेता है .... फिर भी अपने जज्बातों को शब्द देने की एक छोटी सी कोशिश है ... 'मेरी क़लम, मेरे जज़्बात' |
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Wednesday, 2 September 2015
नैन ( सवैया )
नैन लड़ें अरु नैन मिलें, कब रार करें कब मीत बनाएँ | प्रीत सुधा बरसाय कभी, विष बान बनें हिय में बिध जाएँ| ढीठ बने अड़ जावत तो भर लाज कभी नयना सकुचाएँ| बैन बने हिय की बतियाँ, रह मौन सखी सगरी बतलाएँ Shalini Rastogi
आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.
अति सुंदर. श्रृंगार रस की मोहक प्रस्तुति....
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