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Saturday, 24 January 2015

वसंत

वसंत पर एक सवैया 
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देख सजी धरती धर चूनर खेत हुए सगरे अब पीले|


पीत भई पगड़ी सज के मन, देख लुभावत लोग सजीले|


झाँक रहे छिप चूनर ओट, सखी सजना दुइ नैन रसीले|


आय गए सज ठाठ दिखा,मन लेत लुभाय वसंत छबीले||



2 comments:

  1. सुन्दर छंद ... बसंत की हार्दिक शुभकामनायें ...

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  2. बहुत सुंदर रचना , बधाई इस अनुपम रचना हेतु

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