अनुभूतियाँ, जज़्बात, भावनाएँ.... बहुत मुश्किल होता है इन्हें कलमबद्ध करना .. कहीं शब्द साथ छोड़ देते हैं तो कहीं एकक अनजाना भय अपनी गिरफ़्त में जकड़ लेता है .... फिर भी अपने जज्बातों को शब्द देने की एक छोटी सी कोशिश है ... 'मेरी क़लम, मेरे जज़्बात' |
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Saturday, 24 January 2015
वसंत
वसंत पर एक सवैया ~~~~~~~~~~~~~ देख सजी धरती धर चूनर खेत हुए सगरे अब पीले| पीत भई पगड़ी सज के मन, देख लुभावत लोग सजीले| झाँक रहे छिप चूनर ओट, सखी सजना दुइ नैन रसीले| आय गए सज ठाठ दिखा,मन लेत लुभाय वसंत छबीले||
आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.
सुन्दर छंद ... बसंत की हार्दिक शुभकामनायें ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना , बधाई इस अनुपम रचना हेतु
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