अनुभूतियाँ, जज़्बात, भावनाएँ.... बहुत मुश्किल होता है इन्हें कलमबद्ध करना .. कहीं शब्द साथ छोड़ देते हैं तो कहीं एकक अनजाना भय अपनी गिरफ़्त में जकड़ लेता है .... फिर भी अपने जज्बातों को शब्द देने की एक छोटी सी कोशिश है ... 'मेरी क़लम, मेरे जज़्बात' |
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Sunday, 15 September 2013
राजनीति ( कुण्डलिया छंद)
राजनीति में चल रहा, लाशों का है खेल | धूर्त मिले हैं धूर्त से, गिद्धों का है मेल || गिद्धों का है मेल, धर्म की आँच जलाएँ| पाने सत्ता का लाभ, देश को हैं सुलगाएँ|| लालच का तूफान, फैली हर ओर अनीति | लोभियों की जमात, बनी है ये राजनीति ||
आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteआज की चर्चा : ज़िन्दगी एक संघर्ष -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल चर्चा : अंक-005
कृपया आप भी पधारें नई हिंदी तकनीकी दुनिया में
ReplyDeleteब्लॉगिंग और पासवर्ड हैकिंग
बहुत खूब सुंदर छंद ! बेहतरीन प्रस्तुति !!
ReplyDeleteRECENT POST : बिखरे स्वर.
बढ़िया प्रस्तुति
ReplyDeletelatest post कानून और दंड
atest post गुरु वन्दना (रुबाइयाँ)
नमस्कार आपकी यह रचना कल सोमवार (16-09-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ReplyDeleteकुछ नहीं देखती ये राजनीति ... इन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ता ...
ReplyDeleteआद्रेया शालिनी जी कम पंक्तियों में ही राजनीति के गन्दे माहौल को बखुबी प्रस्तुत किये है जो सत्य है,आभार।
ReplyDeleteवाह बहुत सुन्दर |
ReplyDeleteaaj hame apne bachchon ki liye desh ki rajniti batlni hogi. vaise gandi ho chuki rajniti ka aapne bhut achha varnan kiya hai
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