Pages

Friday, 26 July 2013

राधा बनी कान्हा



(मुक्त छंद)

तू मेरी राधा बन कान्हा, मैं अब तेरा कान्हा बनूँगी |

गौर वर्ण को तज अपने , तेरा श्याम वर्ण गहूँगी |


मोर मुकुट सिर धारुँगी, पर मुरली अधरों पर न धरुँगी |


ग्वालों संग वन-वन भटकूँ, लोक लाज सगरी तजूंगी ||

7 comments:

  1. बहुत सुंदर, शुभकामनाये

    ReplyDelete
  2. सुन्दर अभिव्यक्ति !

    ReplyDelete
  3. खूबसूरत भाव ... प्रेम विभोर करता छंद ...

    ReplyDelete
  4. सुन्दर भाव । तू मेरी राधा बन अब मैं तेरी कान्हा बनूँगी । एक अलग भाव

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.