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Sunday, 10 February 2013

तलाश

कभी दरबदर हम, अनजान मंजिल, कभी गुमशुदा थे रास्ते 
क्या ढूंढते थे, क्या मिला थे न जाने हम किस तलाश में ..



हर शख्स यहाँ 
किसी न किसी  
तलाश में 
भटकता फिर रहा 
अनवरत 
अनजान राहों पर 
कोई सुकून की तलाश में 
फिरता बेचैन 
किसी ने शांति को खोजते 
खो दिया चैन 
कोई बंधन सब तोड़ 
प्यार तलाशने निकला 
कोई बुतों को तोड़ 
तो कोई पत्थर तराश 
खुदा तलाशने निकाला 

खुशी की तलाश में कभी 
हँसी किसी ने खोई 
आशियाँ की तलाश में 
दरबदर कोई 
बस यूँ ही
अनजान चाहत 
कहाँ दिल को राहत 
बेवज़ह भटकते 
जिंदगी की सूनी गलियों में
बाकी रह जाती है तो बस 
तलाश 




32 comments:

  1. सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है तलाश का कोई अंत नहीं,बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति।

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  2. This comment has been removed by a blog administrator.

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  3. जाने किस तलाश में इंसान भटकता है दर -बदर , आजीवन चक्र चलता है !
    बहुत बढ़िया !

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद वाणी जी!

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  4. गहरी सोच ..तलाश कभी ख़तम नहीं होती नजाने किस चीज की तलाश है !!! badhai

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    1. और इसी तलाश में हम खुद लापता हो जाते हैं... बहुत बहुत धन्यवाद पारुल जी!

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  5. बहुत ही सुन्दर सी कविता |ब्लॉग पर आकर उत्साहवर्धन हेतु आपका दिल से शुक्रिया |

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    1. जय कृष्ण जी..आपका बहुत बहुत शुक्रिया!

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  6. तलाश अपनी भी हो तो रास्ते स्याह ही होते हैं, सच छुप जाता है - झूठ दावे से सर उठाये एक कतरा रौशनी में अपना चेहरा दिखाता है

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    1. वाह.... क्या बात कही है रश्मि जी... बेहद खूबसूरती से इस सच को उकेरा आपने.... ब्लॉग पर आने व उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार!

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  7. जिंदगी भी तो एक तलाश है ... सुकून मिएँ जाने की तलाश जो निरंतर रहती है ...

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    1. सही कहा दिगंबर जी ... धन्यवाद!

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  8. बहुत सुंदर शालिनी जी !
    ऐसे ही दो पंक्तियाँ मन में आ गयीं...
    कभी यूँ भी सफ़र की बहार हो ...
    हों रस्ते पर..ना मंज़िल की तलाश हो.....
    ~सादर!!!

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    1. वाह अनिता जी...क्या कहने ... इस तरह बेमकसद आवारगी का भी अपना अलग ही लुफ्त है .. धन्यवाद!

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  9. बेह्तरीन अभिव्यक्ति

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  10. शुभकामनायें, तलाश पूरी हो !

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सतीश जी!

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  11. बहुत बहुत खुबसूरत लगी ।

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    1. शुक्रिया इमरान जी!

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  12. इंसान की तलाश कभी ख़त्म नही होती,,,उम्दा अभिव्यक्ति,,,

    RECENT POST... नवगीत,

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    1. बस यही तलाश भटकाती रहती है.... रचना पर टिपण्णी के लिए आभार!

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  13. धन्यवाद रविन्द्र जी

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  14. खुद में खुद को ही तलाशते उम्र बीत जाती है ....
    फिर भी ये तलाश अधूरी ही रह जाती है ....
    बहुत सुंदर लिखा है ....
    शुभकामनायें शलिनी जी ...

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद अनुपमा जी!

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  15. Meri Haziri bhi kabool kar le...........................

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    1. खुशामदीद ..... आपके कमेन्ट के बिना कुछ कमी सी थी.

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  16. ♥✿♥❀♥❁•*¨✿❀❁•*¨✫♥❀♥✫¨*•❁❀✿¨*•❁♥❀♥✿♥
    ♥बसंत-पंचमी की हार्दिक बधाइयां एवं शुभकामनाएं !♥
    ♥✿♥❀♥❁•*¨✿❀❁•*¨✫♥❀♥✫¨*•❁❀✿¨*•❁♥❀♥✿♥



    कहाँ दिल को राहत
    बेवज़ह भटकते
    जिंदगी की सूनी गलियों में
    बाकी रह जाती है तो बस
    तलाश...

    बहुत सुंदर शालिनी जी !
    मन की तलाश मन पर ही पूरी होती है शायद !

    मेरे एक गीत की पंक्तियां आपके लिए -
    कितने सागर, कितनी नदियां,
    कितना नीर तलाशा !
    व्याकुल मन को थाह मिली ना,
    ... है प्यासा का प्यासा !!

    :)
    ...और वह गीत तो आपको याद ही होगा -
    तेरे नैना तलाश करे जिसे
    वो है तुझही में कहीं ...



    बसंत पंचमी सहित
    सभी उत्सवों-मंगलदिवसों के लिए
    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
    राजेन्द्र स्वर्णकार

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  17. .........बेहतरीन रचना देने के लिए आभार शालिनी जी

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  18. क्या खूब कहा आपने या शब्द दिए है
    आपकी उम्दा प्रस्तुती
    मेरी नई रचना
    प्रेमविरह
    एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ

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  19. आज 19/02/2013 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

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