ख़ामोशी
कब से खामोश पड़ी है ये कलम ,
कब से चुपचाप हैं ख्यालात मेरे ,
दिल पे छाया है कब से कोहरा घना
सर्द आहों से बर्फ बन गए अश्क मेरे
जुबां से निकलते अल्फाजों को
बंदिश हज़ार हर तरफ से घेर लेती है
जज्बातों की सुलगती आंच को
राख जिम्मेदारियों की बुझाये देती है
अपनी ही आवाज़ सुनाने को
हर साँस- साँस अकुलाती है
चीख सन्नाटे की कानों को चीर
दिल की गहराई में समा जाती है
हलक में दम तोडती आवाज़ अब
चीख बन चिल्लाना चाहती है
हर गुनगुनाहट अब राग बन
लबों पे सज जाना चाहती है
घने कुहासे के पीछे, धीमी ही, मगर
रह - रह चमक उठती एक लौ कहीं
घुट रही पल-पल अँधेरे में मगर
लपट बन भडकना चाहती है
कब से खामोश पड़ी है ये कलम ,
कब से चुपचाप हैं ख्यालात मेरे ,
दिल पे छाया है कब से कोहरा घना
सर्द आहों से बर्फ बन गए अश्क मेरे
जुबां से निकलते अल्फाजों को
बंदिश हज़ार हर तरफ से घेर लेती है
जज्बातों की सुलगती आंच को
राख जिम्मेदारियों की बुझाये देती है
अपनी ही आवाज़ सुनाने को
हर साँस- साँस अकुलाती है
चीख सन्नाटे की कानों को चीर
दिल की गहराई में समा जाती है
हलक में दम तोडती आवाज़ अब
चीख बन चिल्लाना चाहती है
हर गुनगुनाहट अब राग बन
लबों पे सज जाना चाहती है
घने कुहासे के पीछे, धीमी ही, मगर
रह - रह चमक उठती एक लौ कहीं
घुट रही पल-पल अँधेरे में मगर
लपट बन भडकना चाहती है
अपनी ही आवाज़ सुनाने को
ReplyDeleteहर साँस- साँस अकुलाती है
चीख सन्नाटे की कानों को चीर
दिल की गहराई में समा जाती है
छटपटाहट साफ़ दिखाई दे रही है ..
अपनी ही आवाज़ सुनाने को
ReplyDeleteहर साँस- साँस अकुलाती है
चीख सन्नाटे की कानों को चीर
दिल की गहराई में समा जाती है
बहुत खूबसूरत हैं ये पंक्तियाँ ....शानदार|
घने कुहासे के पीछे, धीमी ही, मगर
ReplyDeleteरह - रह चमक उठती एक लौ कहीं
घुट रही पल-पल अँधेरे में मगर
लपट बन भडकना चाहती है
बेहतरीन लिखा है मैम।
सादर
सुंदर भावाभिव्यक्ती
ReplyDeleteवाह....
ReplyDeleteघुटन का एहसास पाठकों को भी हो रहा है..
बहुत अच्छी रचना..
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ,बधाई
ReplyDeleteजीवन में बहुत कुछ है कहने को..
ReplyDeleteसमय पर न कहा जाए तो अर्थहीन होता है..
आपकी कविता में एक छुपी होई कोई बात है ..जो कवियत्री कहने को आतुर हैं..
kalamdaan.blogspot.com
धन्यवाद संगीता जी, इमरान जी,विद्या जी, कुरुवंश जी एवं ऋतु, शायद यह अहसास हम सभी को अपने जीवन में कभी न कभी होता है कि कहने को बहुत कुछ होता है पर कह नहीं पाते .
ReplyDeleteकविता पसंद करने के लिए आभार !!!!!!
बहुत सुन्दर रचना... वाह!
ReplyDeleteबेहद ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना....
ReplyDelete