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हरे कृष्णा

सज्जित सोलह कला शशि, खिला पक्ष था  कृष्ण |
किया उजाला जगत को, दुनिया कहती कृष्ण ||

हर दिन हिंदी



#हरदिनहिंदी
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जो मेरे सपनों की भाषा है
जो मेरे अपनों की भाषा है।
जिसमें हँसी हूँ, जिसमें रोई हूँ,
जिस भाषा को गले लगा कर सोई हूँ।
जिस भाषा में माँ ने डाँटा है
जिसमें प्यार अमित बाँटा है।
जिसमें पहली बार लिखा था
मन में उठते भावों को,
हर पल ज़ुबान दे पाला जिसने
कच्चे-पक्के अनुरागों को ।
जो हर साँस साँस में बसती है,
जो सीने में दिल के साथ धड़कती है....
एक दिवस में कैसे बाँधू भला
अपने सपनों को
अपने अपनों को
मन के उद्गारों को
दुख-सुख के भावों को
खुशी के अतिरेक को
व्यथा के वेग को....
सुबह से सोच रही हूँ
कैसे कहूँ
मातृ सम भाषा के लिए
मात्र एक दिन के लिए
हिंदी दिवस की शुभकामनाएं।
आओ हर दिन को हिंदी दिवस मनाएँ💐

मूर्तिकार



मूर्तिकार फिर बेक़रार है
मूर्तियों में फिर तक़रार है
फिर पूछ रही हैं मूँह फुला
बता मूर्तिकार!
हममें से किससे तुझे अधिक प्यार है ?
सोच में है संगतराश
आखिर दे इन्हें क्या जवाब?
सभी को तो तराशा है उसने
आत्मा की गहराई से
सभी को दिए हैं
रंग-रूप-आकार!
हर मूर्ति में धड़कते हैं
उसके प्राण
फिर कैसे किसी एक की ओर कर इशारा
बताए उसे वो अपना प्यारा
सोच रहा है बार-बार
अपनी कृतियों को तकता ...मूर्तिकार

खामोश दिल

कितनी बार किया चुप इसको
समझाया कितना इस दिल को
नहीं, अभी समय नहीं कुछ कहने का
मनमानी का, जज़्बात में बहने का,
कुछ सब्र और, कुछ और सह ले,
बस थोड़ी देर तक और चुप रह ले,
अभी हैं ज़िम्मेदारियाँ बड़ी
अभी हज़ार ज़रूरतें दरवाज़े खड़ी
अभी नहीं है वक़्त तेरी सुनने का,
थोड़ा ठहर , तेरा भी वक़्त आएगा
दिल , तू भी दिल की कर पाएगा...
तब तू भी कर लेना मनमानी
कह लेना अपनी अनकही कहानी
जी लेना अपने ख्वाब सुनहले
बीन लेना आस के मोती रुपहले
पर कुछ सब्र तो रख ले पहले
कुछ और समय तू चुप रह ले ....
फिर दिल ने चुप रहना सीखा,
भीतर भीतर घुटना सीखा ,
अब सीख गया जब चुप रहना
हर पल घुट-घुट कर जीना
मैं कहती इससे ... कुछ तो कह
कुछ बोल अरे, कुछ मन की कह ....
कुछ रीती-रीती आँखों से
कुछ बेदिली से, कुछ आहों से
यूँ बोला दिल 'बस रहने दे,
खामोश यूँही सब सहने दे,
न अब सपने न बातें हैं
सब बीते युग की बातें हैं ....
हाँ ऐसे जीना सीख गया
ले, मैं चुप रहना सीख गया।

स्वागत है नववर्ष

कुछ मीठी बातें रखना याद
कुछ जाने देना जाते साल के साथ
कुछ झगड़े-वगड़े, कड़वी बातें
दे देना उसको संग ये सब सौगातें
कहना ले जाए अतीत गर्त में
न लौटें फिर दर्द भरी वे घातें।
बाँध देना दर्द भरे लम्हे उसकी गठरी में
टूटा था जिनमें दिल, लौटा देना उन्हें
ले जाए जाता साल, छिपा ले अपनी कोठरी में।
और छोड़ जाए पीछे लम्हे रोशनी के
जिस पल लब पे मुस्कानें आईं,
जिस पल दिल पर मस्ती थी छाई,
जिनमें आँखों को आया हँसना
नए गीतों ग़ज़लों का बनना ।
कह देना 'शुक्रिया' इन सब की ख़ातिर,
बीते साल को विदाई दें हँस कर
करें स्वागत नए का नव उमंग में भरकर ।
नए वर्ष का उत्सव मनाएँ
💐💐💐2020 की शुभकामनाएं 💐💐💐💐

स्वागत गीत

मुखरित है मन का आँगन, सुरभित है हर द्वार।
तव चरणों की आहट से, स्पंदित मन के तार।
1. नव उमंग से पुलकित हृदय,
 मुस्कानों के विकसित किसलय।
पग- पग पर सानंद जताती, प्रकृति है आभार।
मुखरित है मन का आँगन, सुरभित है हर द्वार।
तव चरणों की आहट से, स्पंदित मन के तार।
2. हर्षित स्वर लहरी से गुंजित,
    चहुँ ओर आनंद अपरिमित,
आह्लादित हो करते हम, अभिनंदन बारंबार।
मुखरित है मन का आँगन, सुरभित है हर द्वार।
तव चरणों की आहट से, स्पंदित मन के तार।