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Tuesday, 25 September 2018

बिछुआ छनके



पाँव बढ़े बिछुआ छनके छन, झाँझरिया उत शोर मचावे|
कंगन-चूरि करें चुगली, नथ झूमि हिले सब राज बतावे|
सास खड़ी अंगना, ननदी पहरा, उत मोहन टेर लगावे|
सोच-विचारि पड़ी अब क्या, मिलने की उनसे विधि-युक्ति लडावे|
शालिनी रस्तौगी 

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