Pages

Saturday, 17 March 2018

चलो अब बराबर, हिसाब किए लेते हैं।

चलो अब बराबर, हिसाब किए लेते हैं।
कुछ तुम रख लो , कुछ हम रख लेते हैं।
हँसी - मुस्कुराहटों के पल तुम ले जाओ,
आँसू का हिसाब हम किए लेते हैं।
वो इंतेज़ार के पल, वो न मिल पाने की तड़प
मिल्कियत है मेरी, सहेज रखूँगी ता उम्र,
वस्ल की रातों के वो महके हुए लम्हें,
अमानत हैं तुम्हारी,  लौटाए तुम्हें देते हैं।
शिकवे शिकायतों की कुछ बोझिल सी यादें,
करवटों, बेचैनियों, अश्कों में डूबी रातें
सौंप दो मुझे, दिल से उतार बोझ इनका।
रूठने- मनाने, हँसने- गुनगुनाने के
पंखों से भी नाजुक नरम वो पल
लीजिए हवाले आपके कर देते हैं ...
चलो अब बराबर हिसाब कर लेते हैं।
~~~~~~~~~~~
शालिनी रस्तौगी

1 comment:

  1. ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सभी को नव संवत्सर और नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं। विक्रम संवत 2075 आप सबके जीवन में सुख, समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य लेकर आये यही हमारी कामना है।


    ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, नव संवत्सर और नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.