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Monday, 24 July 2017

विद्रोही स्वर


विद्रोही स्वर
मन की खामोशियों को तोड़
विद्रोही हो उठते हैं स्वर|
रगों में लहू के साथ
दौड़ती चुप्पी के विरुद्ध
आवाज़ उठाना चाहते,
हर बंधन को काट
मुक्त हो
विद्रोह करना चाहते स्वर|
चेतना के अदृश्य
बंधन से मुक्त हो
करना चाहते अनर्गल प्रलाप |
मिथ्या संभ्रांतता के
जाल से निकल
उच्छृंखल हो जाना चाहते
विद्रोही स्वर|

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