अनुभूतियाँ, जज़्बात, भावनाएँ.... बहुत मुश्किल होता है इन्हें कलमबद्ध करना .. कहीं शब्द साथ छोड़ देते हैं तो कहीं एकक अनजाना भय अपनी गिरफ़्त में जकड़ लेता है .... फिर भी अपने जज्बातों को शब्द देने की एक छोटी सी कोशिश है ... 'मेरी क़लम, मेरे जज़्बात' |
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Sunday, 17 July 2016
हास करे, परिहास करे
सवैया
हास करे, परिहास करे मन की गति वो समझे नहिं मेरी।
आय, सताय,रुलाय,मनाय,करे मन की सुनता नहिं बैरी।
लाज भरी इनकार करूँ झट बात बना करके मति फेरी। लेकर सौं इक बात कहूँ अब बात न मानु कभी पिय तेरी।।
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बहुत सुन्दर सवैया। .
ReplyDeleteजय श्रीकृष्ण!
खूबसूरत सवैया ! जय श्री कृष्णा
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteनव वर्ष की मंगलकामनाएं
http://savanxxx.blogspot.in