Pages

Tuesday, 23 February 2016

साजिश

दिशाओं ने की है साजिश
पूरब के खिलाफ़
भड़काया है बादलों को
कि मत होने दो सुबह
बहुत इतराती है ये प्राची
कि सूरज
इसके दामन से निकलता है
रोक लो रास्ता
उदित होती हर किरण का
चलो छा जाओ
कि दुनिया देख न पाए उजाला
गरजो, बरसों, बिजलियाँ गिराओ
बूँदे नहीं, धरा पर सैलाब बरसाओ
हदें तोड़ने की इजाज़त है
चाहे जहाँ तक जाओ
कि त्रस्त होगी धरती तो
पिघलेगी प्राची
शायद सफल हो जाए
सूरज को कैद करने की
दिशाओं की साजिश
~~~~~~~~~~~~~
शालिनी रस्तौगी

2 comments:

आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.