अनुभूतियाँ, जज़्बात, भावनाएँ.... बहुत मुश्किल होता है इन्हें कलमबद्ध करना .. कहीं शब्द साथ छोड़ देते हैं तो कहीं एकक अनजाना भय अपनी गिरफ़्त में जकड़ लेता है .... फिर भी अपने जज्बातों को शब्द देने की एक छोटी सी कोशिश है ... 'मेरी क़लम, मेरे जज़्बात' |
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Monday, 7 September 2015
दो दोहे
शातिर दो नैना बड़े, लड़ें मिलें दिन रैन| नैनन के इस मेल में, जियरा खोवे चैन||
पाती अँसुवन से लिखी, बदरा पर दिन-रात| पवन पीया तक ले गई, बरस सुनाई बात ||
आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.
नैन और उनसे निकलती आंसू की धार ... बहुत ही सुन्दर दोहे हैं दोनों ...
ReplyDeleteमन को स्पर्श करते दोहे, बधाई शालिनी जी...
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