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Monday, 25 March 2013

रातरानी से झरें हम.



जुस्तज़ू में जीने की अब, क्यों हर घड़ी मरें हम
 दरकिनारे डर को करके, फैसला कोई करें हम.

या खुदा तेरा जहाँ ये, क्या अजब है क्या गज़ब है.
हर कदम पे देख धोखे, आह सदमें से भरें  हम.

रास आया ना जहाँ ये, है रिवायत क्या यहाँ की,
बंदिशों में कैद इनकी, फैसले क्योंकर करें हम.

इश्क ने तेरे बनाया, न थे काफ़िर कभी भी,
उस खुदा को छोड़ तेरी, यूँ इबादत अब करें हम.

रंग औ बू से दुनिया महरूम हो तेरी कभी ना.
राह महकाएँ तेरी हम, रातरानी से झरें हम.


29 comments:

  1. सुंदर भावपूर्ण सहजता से कही गयी गहरी बात
    बहुत बहुत बधाई
    होली की शुभकामनायें




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    1. बहुत बहुत धन्यवाद ज्योति खरे जी!

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  2. वाह....
    खूबसूरत ग़ज़ल.....

    अनु

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  3. बहुत शानदार उम्दा गजल ,,
    होली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाए,,,
    Recent post : होली में.

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    1. हार्दिक आभार सर....

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  4. बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...होली की हार्दिक शुभकामनायें!

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    1. धन्यवाद कैलाश जी ...

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    1. धन्यवाद महेंद्र जी!

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    1. बहुत बहुत आभार संगीता जी ...

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  8. बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति,होली की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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    1. धन्यवाद राजेन्द्र जी !

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  9. दीदी ये आपके ब्लॉग को क्या हो गया है। ब्लेक नज़र आ रहा है, या कोई तकनिकी प्रोब्लम्स की वजह से हुआ है। सब कुछ डार्क डार्क सा लग रहा है।

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  10. बहुत सुन्दर प्रस्तुति........होली की हार्दिक शुभकामनायें।

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    1. शुक्रिया इमरान जी!

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  11. बहुत सुंदर
    क्या कहने

    होली की ढेर सारी शुभकामनाएं

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    1. आपको भी होली की ढेर साडी शुभकामनाएँ ..

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  12. बहुत ही लाजवाब ... रूहानी विश ... दिल से निकली सड़ा ..
    होली की बधाई ..

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    1. दिगंबर जी .... सदा तो दिल से ही निकली है ... बहुत बहुत धन्यवाद!

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  13. बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति,होली की शुभकामनाएँ.

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    1. धन्यवाद राजेन्द्र जी!

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  14. राह महकाएं तेरी हम रात रानी से झरे हम .

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  15. बहुत खूबसूरत भाव और अर्थ लिए बेहतरीन रचना .

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  16. बेहद खूबसूरत ... मन के विचारों की लहरें अल्फाजों के समंदर में बेबाक झलक रही हैं ..

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