जुस्तज़ू में जीने की अब, क्यों हर घड़ी मरें हम
दरकिनारे डर को करके, फैसला कोई करें हम.
या खुदा तेरा जहाँ ये, क्या अजब है क्या गज़ब है.
हर कदम पे देख धोखे, आह सदमें से भरें हम.
रास आया ना जहाँ ये, है रिवायत क्या यहाँ की,
बंदिशों में कैद इनकी, फैसले क्योंकर करें हम.
इश्क ने तेरे बनाया, न थे काफ़िर कभी भी,
उस खुदा को छोड़ तेरी, यूँ इबादत अब करें हम.
रंग औ बू से दुनिया महरूम हो तेरी कभी ना.
राह महकाएँ तेरी हम, रातरानी से झरें हम.
सुंदर भावपूर्ण सहजता से कही गयी गहरी बात
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई
होली की शुभकामनायें
बहुत बहुत धन्यवाद ज्योति खरे जी!
Deleteवाह....
ReplyDeleteखूबसूरत ग़ज़ल.....
अनु
dhanyvaad anu!
Deleteबहुत शानदार उम्दा गजल ,,
ReplyDeleteहोली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाए,,,
Recent post : होली में.
हार्दिक आभार सर....
Deleteबहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...होली की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteधन्यवाद कैलाश जी ...
Deleteअच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
धन्यवाद महेंद्र जी!
Deleteअच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत गज़ल
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार संगीता जी ...
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Deleteबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति,होली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteधन्यवाद राजेन्द्र जी !
Deleteदीदी ये आपके ब्लॉग को क्या हो गया है। ब्लेक नज़र आ रहा है, या कोई तकनिकी प्रोब्लम्स की वजह से हुआ है। सब कुछ डार्क डार्क सा लग रहा है।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति........होली की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteशुक्रिया इमरान जी!
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteक्या कहने
होली की ढेर सारी शुभकामनाएं
आपको भी होली की ढेर साडी शुभकामनाएँ ..
Deleteबहुत ही लाजवाब ... रूहानी विश ... दिल से निकली सड़ा ..
ReplyDeleteहोली की बधाई ..
दिगंबर जी .... सदा तो दिल से ही निकली है ... बहुत बहुत धन्यवाद!
Deleteबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति,होली की शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteधन्यवाद राजेन्द्र जी!
Delete
ReplyDeleteराह महकाएं तेरी हम रात रानी से झरे हम .
बहुत खूबसूरत भाव और अर्थ लिए बेहतरीन रचना .
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत ... मन के विचारों की लहरें अल्फाजों के समंदर में बेबाक झलक रही हैं ..
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