Pages

Monday, 11 March 2013

चितवन



चितवन से हर ले जिया, चितवत करै शिकार |
गोरी तेरे दो नैन,   ब्याध  बड़े  हुशियार ||
ब्याध बड़े हुशियार, जाल ये अपने कसते |
मृगनयनी को देख  , आखेट व्याघ्र का करते   ||
काम कमान सो वक्र ,  रूप-माया का उपवन |
साजन हिया  डोलत, देख   तेरी ये चितवन ||

( अब भी मात्राओं की गड़बड़ है ...)

29 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर हैं कुंडलिया,आभार.

    ReplyDelete
  2. होशियार /हुशियार / शिकार शुद्ध रूप हैं .बढ़िया रूपक तत्व लिए हैं तमाम पंक्तियाँ .

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद वीरेन्द्र जी , आपने एक मात्रा का फेर था ..वो ठीक करा दिया इस पंक्ति में ..

      Delete
  3. सुन्दर प्रस्तुति . खुबसूरत जज्बात .बहुत खूब,

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर और भावपूर्ण प्रस्तुतिकरण एक गहरे अर्थ के साथ, विषयपरक-----बधाई

    मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों----आग्रह है
    jyoti-khare.blogspot.in







    ReplyDelete
  5. बहुत खूब ... क्या कहने इस चंचल चितवन के ...

    ReplyDelete
  6. Replies
    1. sir ...apne meri post pe comment kiya ...vishvaas hi nahi ho raha ... bahut bahut dhanyvaad!

      Delete
  7. Replies
    1. धन्यवाद आदित्य जी!

      Delete
  8. लाजवाब...
    बहुत ही अच्छा लगा...
    :-)

    ReplyDelete
  9. क्या बात..... बेहतरीन पंक्तियाँ

    ReplyDelete
    Replies
    1. आभार डॉ. मोहिका शर्मा जी...

      Delete
  10. बहुत उम्दा बढ़िया लिखा है मात्राए भी ठीक है,,,बधाई शालिनी जी,,,,
    होली के आयोजन में आप भी अपनी रचना भेजकर हिस्सा ले,,,आभार
    Recent post: होरी नही सुहाय,

    ReplyDelete
  11. सादर जन सधारण सुचना आपके सहयोग की जरुरत
    साहित्य के नाम की लड़ाई (क्या आप हमारे साथ हैं )साहित्य के नाम की लड़ाई (क्या आप हमारे साथ हैं )

    ReplyDelete
  12. bahut hi sundar ..chanchalta liye hue ..khoobsurat

    मन की भावनाओं को व्यक्त करती ...नई रचना Os ki boond: टुकड़े टुकड़े मन ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद पंखुरी जी!

      Delete
  13. मात्राएँ आप गिने :)
    हमें तो रचना बहुत सुंदर लगी ...
    बधाई !

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद सतीश जी ... :)

      Delete
  14. आहा...क्या बात.......बहुत सुन्दर।

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया इमरान जी!

      Delete
  15. बहुत अच्छा। दीदी आप कितनी भाषाओँ का ज्ञान रखती हैं। हिंदी भी तो सिन्धी भी। उर्दू भी तो इंग्लिश भी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. अरे रे आमिर , ताड़ के झाड पे मत चदाओ मुझे ...ऐसा कुछ नाही आता मुझसे!

      Delete
  16. क्या बात है शानदार रचना बेहद सुन्दर हार्दिक बधाई

    ReplyDelete
  17. अनेको भावों का संगम। बढ़िया रचना।

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है.