tag:blogger.com,1999:blog-4315573985225860733.post1941428791038665027..comments2023-11-05T00:19:53.278-07:00Comments on मेरी कलम मेरे जज़्बात: चेतना के बंधshalini rastogihttp://www.blogger.com/profile/07268565664101777300noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-4315573985225860733.post-63019141332941249002012-05-05T01:10:48.240-07:002012-05-05T01:10:48.240-07:00इस चेतना का बंधन तोड़ के सब कुछ खुली हवा ले परों प...इस चेतना का बंधन तोड़ के सब कुछ खुली हवा ले परों पे रख दो .. फिर उनकी परवाज का आनंद लो ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4315573985225860733.post-26796002580121652012-05-04T02:57:44.030-07:002012-05-04T02:57:44.030-07:00आपके विचारों से मैं पूर्णतया सहमत हूँ, इमरान जी!आपके विचारों से मैं पूर्णतया सहमत हूँ, इमरान जी!shalini rastogihttps://www.blogger.com/profile/07268565664101777300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4315573985225860733.post-47564908381022690222012-05-04T02:55:18.138-07:002012-05-04T02:55:18.138-07:00धन्यवाद सरस जी!धन्यवाद सरस जी!shalini rastogihttps://www.blogger.com/profile/07268565664101777300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4315573985225860733.post-19790693240930064082012-05-04T01:38:01.894-07:002012-05-04T01:38:01.894-07:00शुक्रिया जो आपने मेरी बात का मर्म समझा......हम सार...शुक्रिया जो आपने मेरी बात का मर्म समझा......हम सारी जिंदगी मन की तो करते रहते हैं और फिर अतीत और भविष्य के बीच झूलते रहते हैं चेतना हमे सही समय पर चेताती है की जो तुम कर रहे हो वो भला है या बुरा पर हम उसकी आवाज़ दबाते जाते हैं फिर एक दिन वो सो जाती है और फिर हमारी बागडोर सिर्फ मन के हाथ रह जाती है जो सारी जिंदगी हमे एक न ख़त्म होने वाली दौड़ में भगाता रहता है। हम जो हैं, जहाँ है, जैसे हैं.....वो हमे खुश नहीं होने देता.....वो कहता है कुछ और होना है, कहीं और होना है और हम हमेशा उसके पीछे चलते जाते है सुख की तलाश में जो अंत में दुःख में ही परिवर्तित हो जाता है ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4315573985225860733.post-33211050451330541322012-05-03T09:48:47.140-07:002012-05-03T09:48:47.140-07:00यही चेतना तो हमें इंसान होने का गौरव भी देती है .....यही चेतना तो हमें इंसान होने का गौरव भी देती है ......सुन्दर प्रस्तुति शालिनीजीSarashttps://www.blogger.com/profile/04867240453217171166noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4315573985225860733.post-340472756986321602012-05-03T05:27:53.096-07:002012-05-03T05:27:53.096-07:00धन्यवाद यशवंत जी!धन्यवाद यशवंत जी!shalini rastogihttps://www.blogger.com/profile/07268565664101777300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4315573985225860733.post-2192177792770357072012-05-03T05:27:32.807-07:002012-05-03T05:27:32.807-07:00पहले तो .... रचना पर ध्यान देने के लिए हार्दिक आभा...पहले तो .... रचना पर ध्यान देने के लिए हार्दिक आभार इमरान जी, आपका सुझाव पढ़ कर अच्छा लगा .... पर पता नहीं मुझे ऐसा लगता है कि ये चेतना ही तो है जो हमें हमारे मन कि नहीं करने देती , खैर..... अपना अपना नजरिया है !shalini rastogihttps://www.blogger.com/profile/07268565664101777300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4315573985225860733.post-2780268400566517122012-05-03T05:25:13.578-07:002012-05-03T05:25:13.578-07:00धन्यवाद धीरेंदर जी , आपके ब्लॉग कव्यन्जिली पर आपकी...धन्यवाद धीरेंदर जी , आपके ब्लॉग कव्यन्जिली पर आपकी नयी रचना पढ़ी , बेहद ख़ूबसूरती से लिखी है आपने ...... आपकी followers कि सूचि में अपना नाम दर्ज किया है .....shalini rastogihttps://www.blogger.com/profile/07268565664101777300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4315573985225860733.post-70163311499355870512012-05-03T05:21:39.877-07:002012-05-03T05:21:39.877-07:00धन्यवाद संगीता जी !धन्यवाद संगीता जी !shalini rastogihttps://www.blogger.com/profile/07268565664101777300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4315573985225860733.post-59005126427294620012012-05-03T05:20:56.139-07:002012-05-03T05:20:56.139-07:00हार्दिक आभार रश्मि जी !हार्दिक आभार रश्मि जी !shalini rastogihttps://www.blogger.com/profile/07268565664101777300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4315573985225860733.post-51525393460366397452012-05-03T03:30:19.514-07:002012-05-03T03:30:19.514-07:00बहुत ही बढ़िया मैम!
सादरबहुत ही बढ़िया मैम!<br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4315573985225860733.post-398571505357452462012-05-03T03:29:27.064-07:002012-05-03T03:29:27.064-07:00वाह बेहतरीन यहाँ चेतना की जगह मन होना चाहिए था शाय...वाह बेहतरीन यहाँ चेतना की जगह मन होना चाहिए था शायद क्यूंकि चेतना अगर जागृत है तो वो तो स्थिर है ये तो मन है जो चंचल है जो कभी यहाँ तो कभी वहाँ अपनी चेतना तक तो हमे ये मन ही पहुंचने नहीं देता ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4315573985225860733.post-22690106782996974262012-05-02T23:53:09.411-07:002012-05-02T23:53:09.411-07:00दिल की क्या सुनना कि ये दिल तो ,
कुछ पागल कुछ आवार...दिल की क्या सुनना कि ये दिल तो ,<br />कुछ पागल कुछ आवारा है .<br />हर बदनाम गली औ कूंचे से<br />इसका तो आना जाना है<br />बस जकड़े दिल को रखने को<br />पहरे लाख बिठाती चेतना ,....<br /><br />बहुत बढ़िया प्रस्तुति, सुंदर रचना,.....शालिनी जी <br /> <br />MY RECENT POST.....<a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/05/blog-post.html" rel="nofollow">काव्यान्जलि.....:ऐसे रात गुजारी हमने.....</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4315573985225860733.post-63849068665762421172012-05-02T22:36:42.374-07:002012-05-02T22:36:42.374-07:00सच चेतना हर समय चेताती रहती है कि ये करो और यह...सच चेतना हर समय चेताती रहती है कि ये करो और यह मत करो ... बहुत सुंदर प्रस्तुतिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4315573985225860733.post-57841133828679870072012-05-02T22:24:41.543-07:002012-05-02T22:24:41.543-07:00तुम ये करना , वो न करना
तुम ये कहना , वो मत कहना
ग...तुम ये करना , वो न करना<br />तुम ये कहना , वो मत कहना<br />गर वो कहना तो यूँ कहना<br />हर बात का मतलब पल पल में<br />हमें समझाती है चेतना... पूरी ज़िन्दगी का उपक्रम !!!रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.com