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Thursday, 21 December 2017

विदेह


आकर्षित करता है सदा
देह त्यज
विदेह हो जाना
सीमाओं के पार
वर्णन के परे
वचनों के जाल से मुक्त
अनिर्वचनीय, अवर्णनीय, असीमित बन जाना
एक शून्य से
विस्तार अनंत तक
तृषा, क्षुधा, कामना,
दृश्य, गंध, स्पर्श .... इन्द्रियों से मुक्त
चिंतन अनंत बन जाना
कुछ पल, दिन, वर्षों से
काल अनंत बन जाना
आकर्षित करता है .....
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shalini rastogi 
  


Wednesday, 20 December 2017

सतरंगी है इश्क़ तेरा

सतरंगी है इश्क़ तेरा
जिस्मानी काले से
रूहानी सफ़ेद तक,
हार रंग में सजा है
इश्क़ तेरा
कभी सूफियाना बन
हरा कर देता है दिल की ज़मीं को,
कभी पूजन बन
केसरिया मन कर जाता है|
कहीं मिलन का लाल,
कहीं जुदाई का धूसर,
कभी जलन में जामुनी रंग जाता है
इश्क़ तेरा ...
कहीं आसमानी बन
सागर औ फ़लक तक बिखर जाता है,
कभी गुलाबी मुस्कान बन
होंठों में सिमट आता है,
कभी सितारों की चमक लिए
आँखों में झिलमिलाता है,
कहीं सरसों की पीली बाली-सा
दिल को सरसराता है,
चूनर की धानी धनक से
पायल की रुपहली खनक तक,
हर रंग में नज़र आता है
इश्क़ तेरा
हाँ, सतरंगी है इश्क़ तेरा ....
शालिनी रस्तौगी 
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